
‘भगत सिंह और उनके साथियों के दस्तावेज’ से निकली आजादी के समरगाथा की अनकही दास्तान
बलिदानी करतार सिंह सराभा को भगत सिंह अपना प्रेरणास्रोत मानते थे। वे उनका चित्र सदैव अपने पास रखते थे और कहते थे- यह मेरा गुरु, साथी और भाई है। अप्रैल 1928 में नौजवान भारत सभा के सम्मेलन के लिए घोषणापत्र में युवाओं को प्रेरित करने के लिए भगत सिंह ने करतार सिंह सराभा का उदाहरण भी शामिल किया था। करतार सिंह सराभा की जन्म जयंती (24 मई) पर पढ़िए उस घोषणापत्र का संपादित अंश...
6-4-1928
नौजवान साथियों,हमारा देश एक अव्यवस्था की स्थिति से गुजर रहा है। चारों तरफ एक-दूसरे के प्रति अविश्वास और हताशा का साम्राज्य है। चारों तरफ अराजकता है, लेकिन किसी राष्ट्र के निर्माण की प्रक्रिया में अराजकता एक आवश्यक दौर है। ऐसी ही नाजुक घड़ियों में कार्यकर्ताओं की ईमानदारी की परख होती है, उनके चरित्र का निर्माण होता है, वास्तविक कार्यक्रम बनता है। तब नए उत्साह, नई आशाओं, विश्वास और नए जोश-खरोश के साथ काम आरंभ होत...